प्रमाण, भावों और काल के मुताबिक संभोग किया की व्यवस्था करना।
प्रतिभेद।
आलिंगन
चुंबन प्रकार।
नखच्छेदन-प्रकार।
दंतच्छेदन-प्रकार।
अलग-अलग प्रदेशों के लोगों की अलग-अलग प्रवृत्तियाँ।
संभोग के प्रकार।
मट्ठी मारना।
अलग-अलग स्रोतों से पदा हुई सी-सी करना।
रुकने के बाद पुरुष का स्त्री के समान व्यवहार करना।
पुरुष का पास आना।
मुखमैथुन
संभोग क्रिया की शुरुआत और आखिरी में कर्तव्य।
उत्तेजना के प्रकार।
प्रणय कलह।
कामसूत्र
धन्यवाद आपके सुधार के लिए!
संभोग करते समय स्त्री को लेटने के बाद अपनी दोनो जाघों से पुरुष को जकड लेना चाहिए
यह प्राचीन भारतीय ग्रंथों में वर्णित कामसूत्र की एक अवधारणा है, जिसमें पुरुष और स्त्री के शारीरिक आकार और योनि की गहराई के आधार पर विभिन्न प्रकार की संज्ञाएं दी गई हैं।
इस अवधारणा के अनुसार:
पुरुषों को उनके लिंग के आकार के आधार पर तीन श्रेणियों में विभाजित किया जाता है:
1. खरगोश (छोटा आकार)
2. बैल (मध्यम आकार)
3. घोड़ा (बड़ा आकार)
स्त्रियों को उनकी योनि की गहराई के आधार पर तीन श्रेणियों में विभाजित किया जाता है:
1. मृगी (हिरणी) - कम गहरी योनि
2. घोड़ी - साधारण गहरी योनि
3. हाथिनि- ज्यादा गहरी योनि
संभोग क्रिया करने के लिए एक जोड़े के सदस्य का दूसरे जोड़े के सदस्य के साथ मिलन होता है, जैसे कि शश (खरगोश) पुरुष का बड़वा (घोड़ी) स्त्री या हस्तिनी स्त्री के साथ संभोग करना, वृषभ (बैल) पुरुष का मृगी (हिरणी) स्त्री के साथ संभोग करना, और अश्व (घोड़ा) पुरुष का मृगी (हिरणी) स्त्री या बड़वा (घोड़ी) स्त्री के साथ संभोग करना। यह छह प्रकार के होते हैं।
इस प्रकार की संभोग क्रियाओं में भी अधिक बड़े लिंग वाले पुरुष का छोटी योनि वाली स्त्री के साथ तथा मध्यम आकार के लिंग वाले पुरुष का साधारण योनि वाली स्त्री के साथ संभोग करना उच्चरत कहा जाता है। बड़े लिंग वाले पुरुष का छोटी योनि वाली स्त्री के साथ संभोग करना उच्चरत होता है। इसके विपरीत अधिक गहरी योनि वाली हस्तिनी स्त्री के साथ मध्यम आकार के लिंग वाले वृषभ पुरुष का साथ, छोटे लिंग वाले शश पुरुष का अधिक साधारण योनि वाली स्त्री के साथ संभोग करना उच्चरत होता है।
संभोग क्रिया के समय जिस व्यक्ति की काम-उत्तेजना बहुत कम होती है, वीर्य कम निकलता है और जो स्त्री के द्वारा अपने शरीर पर नक्षत (नखों को गड़ाना) और दंतक्षत (दांतों को गड़ाना) आदि प्रहारों को सहने में असमर्थ हो तो वह मंद वर्ग कहा जाता है।
इसके विपरीत, मध्यम और तेज संभोग करने की इच्छा रखने वाले पुरुषों को चंडवेग कहा जाता है। इसी तरह, संभोग की इच्छा के अनुसार स्त्रियाँ भी 3 प्रकार की होती हैं- मृदुवेग, मध्यमवेग और चंडवेग।
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"अथात् - प्रथम रत (पहली बार संभोग करने) के समय जब तक स्त्री स्खलित नहीं होती तब तक पुरुष की गति बहुत ज्यादा होती है, जिसके कारण उसकी संभोग करने की इच्छा जल्दी ही समाप्त हो जाती है। किंतु उसी रात में जब पुरुष दूसरा संभोग करता है तो वह इस क्रिया को अधिक देर तक कर सकता है।
स्त्रियों की प्रवृत्ति इसके विपरीत होती है। उनकी काम-उत्तेजना पहले कम होती है और क्रमशः धीरे-धीरे तेज होकर ठहरती है, जिससे दूसरी बार में वह अधिक देर तक ठहर पाती है। स्त्री और पुरुष की काम-उत्तेजना में यही स्वाभाविक अंतर होता है।"
कामशास्त्र मैं सभी आचार्यों का मत हैं कि संभोग क्रिया के दौरान स्त्रियों पुरुषों से पहले चरम सुख को प्राप्त करती हैं क्योंकी वह स्वभाव से ही नाजुक होती हैं।
वृकक्षाधिरूढकम - जिस तरह से पेड़ पर चढ़ते हैं, उसी तरह वृकक्षाधिरूढकम आलिंगन में स्त्री अपने एक पैर से पुरुष के पैर को दबाती है और अपने दूसरे पैर से पुरुष के दूसरे पैर को पूरी तरह से दबती है। इसके साथ ही, वह अपने एक हाथ को पुरुष की पीठ पर रखकर दूसरे हाथ से उसकी कंधा तथा गला को धीरे-धीरे झुकाती है और क्रमशः धीरे-धीरे पुरुष को चुंबन गति हैं और उस पर चढ़ने की कोशिश करती हैं। इस आलिंगन को वक्षस्थधरूढ़कम आलिंगन कहा जाता है।"
- जिस तरह से पेड़ पर चढ़ते हैं, उसी तरह वृकक्षाधिरूढकम आलिंगन में स्त्री अपने एक पैर से पुरुष के पैर को दबाती है और अपने दूसरे पैर से पुरुष के दूसरे पैर को पूरी तरह से दबती है। इसके साथ ही, वह अपने एक हाथ को पुरुष की पीठ पर रखकर दूसरे हाथ से उसकी कंधा तथा गला को धीरे-धीरे झुकाती है और क्रमशः धीरे-धीरे पुरुष को चुंबन गति हैं और उस पर चढ़ने की कोशिश करती हैं। इस आलिंगन को वक्षस्थधरूढ़कम आलिंगन कहा जाता है।" - जिस तरह से पेड़ पर चढ़ते हैं, उसी तरह वक्षस्थधरूढ़कम आलिंगन में स्त्री अपने एक पैर से पुरुष के पैर को दबाती है और अपने दूसरे पैर से पुरुष के दूसरे पैर को पूरी तरह से दबती है। इसके साथ ही, वह अपने एक हाथ को पुरुष की पीठ पर रखकर दूसरे हाथ से उसकी कंधा तथा गला को धीरे-धीरे झुकाती है और क्रमशः धीरे-धीरे पुरुष को चुंबन गति हैं और उस पर चढ़ने की कोशिश करती हैं। इस आलिंगन को वक्षस्थधरूढ़कम आलिंगन कहा जाता है।"
तिलताण्डकम पलंग पर टिका हुआ पुरुष अगर स्त्री के दाईं ओर खड़ा होता है, तो उसे अपनी बाईं टांग को स्त्री की जांघों के बीच तथा बाएं हाथ को उसकी दाईं कांख के बीच डालना चाहिए। और स्त्री को भी पुरुष की ही तरह आलिंगन करना चाहिए। इस प्रकार के आलिंगन में दोनों की टांगें तथा भुजाएं उस तरह लिपट जाती हैं जैसे चावल में तिल इसीलिए इसको तिलताण्डकम आलिंगन कहते हैं।
यह वाक्य कामसूत्र के अरुपगहि आलिंगन का वर्णन करता है। यहाँ इस वाक्य का सुधारा हुआ संस्करण है:
"अथवा - अरुपगहि - स्त्री और पुरुष को एक-दूसरे की तरफ मुंह करके लेट जाना चाहिए तथा अपनी एक जांघ से साथी की एक जांघ को बहुत जोर से या दोनों जांघों से उसकी दोनों जांघों को जोर से दबाने को अरुपगहि आलिंगन कहा जाता है।"
इस आलिंगन में, स्त्री और पुरुष एक-दूसरे के साथ जुड़ते हैं और अपनी जांघों को एक-दूसरे की जांघों से दबाते हैं। यह आलिंगन स्त्री और पुरुष के बीच के प्रेम और आकर्षण को बढ़ावा देता है।
जघनोपगूहन : यह वह अवस्था है जब स्त्री अपनी लज्जा को त्यागकर अपनी जांघों को अपने प्रेमी की जांघों से दबाती है, उसके ऊपर चढ़ जाती है, और उसके ठोड़ी को काटती है, अपने नाखूनों से उसके शरीर को खरोंचती है, और उसके शरीर पर खरोंचें बनाती है, इसे जघनोपगूहन आलिंगन कहा जाता है।"
Here is the translation of the given text in English:
"Jaghnopagahi: This is the state when a woman, having abandoned her bashfulness, presses her thighs against the thighs of her lover, climbs on top of him, and bites his chin, scratches his body with her nails, and makes scratches on his body, this is called Jaghnopagahi Aalingan (embrace)."
note that this text appears to be from the Kamasutra, an ancient Indian text on human sexuality and relationships.
स्तनलिगंन आलिंगन: जब स्त्री अपने स्तनों को पुरुष की छाती से दबाती है, अपना सारा वजन उस पर डाल देती है, और फिर जोर से दबाती है, तो उसे स्तनलिगंन आलिंगन कहते हैं।
Here is the translation in English:
breasthug Aalingan (Embrace): When a woman presses her breasts against a man's chest, transfers her entire weight onto him, and then presses firmly, it is called breasthug Aalingan.
ललाटिका: जब स्त्री अपने सहभागी के मुख के सामने अपना मुख और उसकी आँखों के सामने अपनी आँखें करके अपने ललाट (माथे) को उसके ललाट से दबाती है, तो उसे ललाटिका आलिंगन कहा जाता है.
the Lalatika Aalingan (forehead-to-forehead embrace).
Lalatika: When a woman places her forehead against her partner's forehead, her eyes in front of his eyes, and presses her face against his face, it is called Lalatika Aalingan.
"जो कोई भी इस आलिंगन विधि को सीखेगा, समझेगा, या किसी को बताएगा, उसमें स्त्री के साथ निकटता की इच्छा जागृत हो जाएगी। और जो लोग इस विधि को प्रयोग में लाएंगे, वे अपने साथी के साथ गहरे संबंध बनाने में सक्षम होंगे।"
"कामोत्तेजना के साथ-साथ समझदारी भी बहुत जरूरी है। काम के विद्वानों ने काम के ग्रंथों की रचना उसी उद्देश्य से की है कि संभोग के समय में जिम्मेदारी से संबंध बनाया जा सके। आलिंगन, चुंबन, तथा स्पर्शों आदि संस्कारों और स्त्री के स्वभाव आदि का मनोवैज्ञानिक और शारीरिक अध्ययन करके ही संभोग क्रिया में सफलता प्राप्त की जा
संभोग क्रिया करने से पहले काम-उत्तेजना को तेज करने के लिए जिस तरह का बताव परुष करता है, वैसा ही स्त्री को भी करना चाहिए। जिस चीज से परुष स्त्री पर प्रहार करता है, उसी से स्त्री को भी परुष पर प्रहार करना चाहिए। जिस प्रकार परुष चुंबन करता है, उसी तरह स्त्री को भी चुंबन करना चाहिए।
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